बचपन पूरा शहर में बीत गया पर सब कुछ धुंधला धुंधला सा है, गाँव जाना तो हमारा सिर्फ गर बचपन पूरा शहर में बीत गया पर सब कुछ धुंधला धुंधला सा है, गाँव जाना तो हमार...
सबकुछ पहले जैसा हो जाएगा हमारे आगे कोरोना हार जाएगा सबकुछ पहले जैसा हो जाएगा हमारे आगे कोरोना हार जाएगा
करते पब्लिक का काम तमाम। कितना बदल गया इंसान। करते पब्लिक का काम तमाम। कितना बदल गया इंसान।
समय सब कुछ बदल देता है.. समय जरूरतें बदल देता है समय सब कुछ बदल देता है.. समय जरूरतें बदल देता है
हम ज़रा सा भी दुखी नहीं हैं ... हम ज़रा सा भी दुखी नहीं हैं ... हम ज़रा सा भी दुखी नहीं हैं ... हम ज़रा सा भी दुखी नहीं हैं ...
इंसानी रूप में मेरी ही संवेदनाएं मर गई तुम्हारे लिए। इंसानी रूप में मेरी ही संवेदनाएं मर गई तुम्हारे लिए।